डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, आरोग्यता के साथ आयुर्वेद व्यापक रोजगार देने में भी सक्षम
गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में दीक्षा पाठ्यचर्या समारोह का आठवां दिन
गोरखपुर, 6 अप्रैल। देश के लिए कोविड की पहली दवाई खोजने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने कहा है कि आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का सबसे कारगर विकल्प बनेगा। कोरोना के वैश्विक संकट काल में दुनिया इस प्राचीनतम व प्राकृतिक भारतीय चिकित्सा पद्धति की तरफ अग्रसर हुई है। आयुर्वेद न केवल संपूर्ण आरोग्यता प्रदान करने में सक्षम है बल्कि इसकी दवाओं के लिए आवश्यक औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर रोजगार का बड़ा फलक भी तैयार किया जा सकता है।
डॉ. भट्ट बुधवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम की संस्था गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बीएएमएस प्रथम वर्ष के दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) समारोह के आठवें दिन नवप्रेवशी विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। ” जैव विविधता एवं आयुर्वेद” विषय पर व्याख्यान देते हुए डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि आने वाला समय एक बार फिर उस आयुर्वेद विज्ञान का है जो विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा विधा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में दुनिया के अनेक विकसित देशों की तुलना में भारत में कम मौतें हुईं। इसका कारण यह भी रहा कि भारतीय लोग अपने नियमित भोजन में किसी न किसी रूप में आयुर्वेद में वर्णित उन उत्पादों का सेवन करते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रमण रोकने में कारगर हैं। उन्होंने बताया कि केरल में आयुर्वेद का प्रचलन अधिक है और कोरोना के दौर में वहां इस बीमारी का घातक प्रभाव तुलनात्मक रूप से कम रहा।
डॉ भट्ट ने कहा कि दुनिया नेचुरल मेडिसिन के रूप में आयुर्वेद की तरफ बढ़ रही है। इससे औषधीय पौधों का बाजार भी विस्तारित होगा। 2019 में भारत में औषधीय पौधों का बाजार 4.2 मिलियन रुपये था जिसके 2026 तक बढ़कर 14 मिलियन रुपये हो जाने का अनुमान है। ऐसे में अगर हर्बल खेती को बढ़ावा दिया जाए तो किसानों को अच्छी कमाई हो सकती है तथा बहुत से नए लोगों को व्यापक रोजगार भी मिल सकता है। उन्होंने डीआरडीओ की तरफ से इजाद की गई कोरोना की दवा टू-डीजी के बारे में भी छात्रों को विस्तार से बताया।