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  1. अमरीकी लोग 70% करते हैं आयुर्वेद पर भरोसा -प्रो. तोमर 
गोरखपुर, 31 मार्च। आयुर्वेद के इतिहास में इस पद्धति के दवाओं की उतनी बिक्री नहीं हुई जितनी कोरोना के वैश्विक संकट काल में हुई। दुनियाभर ने भारत की देन आयुर्वेद का लोहा माना है। आज अमेरिका में 70 फीसद लोग आयुर्वेद की दवाओं की ओर उन्मुख हैं। इसका कारण यह है कि यह पद्धति रोगी के रोग को तो ठीक ही करती है, उसकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है। आयुर्वेद ऐसी विधा है जो चिकित्सा जगत को काफी आगे ले जा सकती है।
यह बातें राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय हंडिया (प्रयागराज) के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. (डॉ.) जीएस तोमर ने कही। वह गुरुवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम की संस्था गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बीएएमएस प्रथम वर्ष के नवागत विद्यार्थियों के दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) समारोह के चौथे दिन आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद रोगी के रोग के अनुसार इलाज करने की पद्धति है और इसमें किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। आयुर्वेद में एक तरह की बीमारी में अलग अलग व्यक्तियों को अलग तरह की दवाएं मिलती हैं। प्रो तोमर ने बताया कि आयुर्वेद में किसी तरह की एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं होता और इससे पुरानी से पुरानी बीमारी का सफलता से इलाज होता है। उन्होंने आज के दौर में आम हो चुकी डायबिटीज के इलाज की एलोपैथ और आयुर्वेद के बीच तुलना करते हुए कहा कि आयुर्वेद न केवल ग्लूकोज लेवल का प्रबंधन करता है बल्कि डायबिटीज से प्रभावित होने वाले अंगों की भी रक्षा करता है।